भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान केन्द्र (ISRO) नें बुधवार दिनांक 19-दिसम्बर 2018 को Gsat-7A उपग्रह को पृथ्वी की अंतरीक्षीय कक्षा में स्थापित करने में कामयाबी हासिल कर की है। Gsat-7A ISRO की दुसरी सचारं उपग्रह है जो पुर्ण रुप से सैन्य अनुप्रयोगों के लिए पृथ्वी की कक्षा में स्थापित की गयी। इससे पहले ISRO ने Gsat-7 उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित कराया था । Gsat-7A उपग्रह का मुख्य उद्देश्य भारतीय वायु सेना के संचार क्षमता को और भी मज़बुत करना है।
भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान केन्द्र (ISRO) नें बुधवार दिनांक 19-दिसम्बर 2018 को GSLV-F11 के लिफ्ट ऑफ होते ही ट्वीटर पर लाँच की जानकारी दी और डेढ़ घंटे के बाद मिशन के सफल होने की जानकारी दी ।
मिशन हाईलाईट्स :
- Gsat-7A उपग्रह का प्रमुख उद्देश्य भारतीय वायु सेना के ग्राउंड रडार स्टेशन, ग्राउंड एयरबेस और एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल (AEW&C) सिस्टम को आपस में जोड़ना है ।
- Gsat-7A उपग्रह भारतीय वायु सेना की नेटवर्क सेंट्रिक वारफेयर क्षमता को बढ़ा देगा।
- Gsat-7A जियोस्टेशनरी उपग्रह है जिसे Ku Band के माध्यम से संचार स्थापित करने हेतु बनाया गया है ।
- लिफ्ट ऑफ के समय Gsat-7A उपग्रह का वज़न 2250Kg था।
- Gsat-7A उपग्रह की मिशन लाईफ 8 साल की है ।
जीएसएलवी-एफ11 (GSLV-F11)
जीएसएलवी (GSLV) यानि जियोसिंक्रोनस सैटेलाईट लाँच विहिकल एक एक्स्पेंडेबल लांच सिस्टम है। इसकी की सहायता से Gsat-7A उपग्रह को श्री हरिकोटा के दुसरे लांच पैड 'सतिश धवन स्पेस सेंटर' से पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया है । GSLV-F11 भारतीय अंतरीक्ष अनुसंधान केन्द्र का 13वाँ प्रक्षेपण है और इंडोजिनस क्राईजेनिक ईंजन के साथ 7वाँ प्रक्षेपण है । GSLV की पहला प्रक्षेपण सन् 2001 में किया गया था और GSLV-F11 का आखरी प्रक्षेपण 29 मार्च 2018 को किया गया था।जीसैट-7ए (GSAT-7A)
जीसैट-7ए (GSAT-7A) भारतीय वायु सेना के लिए एक उन्नत संचार उपग्रह है। यह इसरो उपग्रह केंद्र में विकसित किया गया है। जीसैट-7ए भारतीय नौसेना के जीसैट-7 उपग्रह के समान होगा। भारतीय वायु सेना इसकी एकमात्र ऑपरेटर होगी। जीसैट-7ए भारतीय वायु सेना के लिए अलग-अलग जमीन राडार स्टेशन को जोड़ने में सक्षम होगा।धन्यवाद !